pain hide by everyone
कुछ लफ्ज़ ज़ाहिर हो नहीं सकते
रिश्तों की ज़नजीर में लिपट कर,
हाँ ऐसे हालात में अक्सर कईं किताबें भी साथ
छोड़ जातीं हैं
लफ्ज़ नहीं मिल पाते उस दर्द को
जब वही दर्द आपकी तकदीर बन जाये
हाँ मंज़िल नहीं पा सकता वो राही
जब मंज़िल ही तबाह हो जाये
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रिश्तों की ज़नजीर में लिपट कर,
हाँ ऐसे हालात में अक्सर कईं किताबें भी साथ
छोड़ जातीं हैं
लफ्ज़ नहीं मिल पाते उस दर्द को
जब वही दर्द आपकी तकदीर बन जाये
हाँ मंज़िल नहीं पा सकता वो राही
जब मंज़िल ही तबाह हो जाये
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