...

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जीने का लुत्फ़ आया
दी ठोंकर तूने मिला ज़ख्म मुझें
उभर कर जीने का लुत्फ़ आया

उस झूठे इश्क़ का टूटा ज़ो भरम
तेरे इश्क़ मे जीने का लुत्फ़ आया

कहाँ मौत को तू रुक ज़रा की मुझें
इश्क़ मे रब के जीने का लुत्फ़ आया

हर साँस मे मेरी है तू ही तू ये समझा
तो सजदे मे तेरे जीने का लुत्फ़ आया

अभी है साँसे कुछ ये ज़ो मेरी बाक़ी
जाना तो इबादत मे जीने का लुत्फ़ आया।

© अनिल अरोड़ा "अपूर्व "