...

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बूढ़ी माँ
तितलियां भी रूठ गई, बग़ीचा भी बंजर हो गया,
बूढ़ी हुई जबसे, माँ का घर भी खंडर हो गया,

बेटे को वो बचाती रही आइनो को जुठलती रही ,
आइनों को झूठलना ही आज उसकी पीठ का खंजर हो गया

खिड़कियों से झांकना, बेटे की राह ताकना,
हर रात का बस यही मंज़र रह गया

वो मांगता रहा माँ के मरने की दुआ, माँ उसकी उम्र मांगती रही,
माँ का दिल बेटे के लिए फिर समुंदर हो गया,

तितलियां भी रूठ गई, बग़ीचा भी बंजर हो गया,
बूढ़ी हुई जबसे, माँ का घर भी खंडर हो गया


© @bhaskar