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न कहो झूठे वचन
था शेगांव मे सुंदर सा वन,सब्जियां होती थी उत्पादन।
शिव मंदिर और नीम की छाया,सुंदर था पर्यावरण।
कृष्णा पाटिल का यह मल्ला,बहुत सुंदर उसका विचरण।
बैठ वहीं गजानन बोले,रहूंगा यहां में अब कुछ दिन।
कृष्णा करो कुछ उपाय,और छाया का प्रबंधन।
जहाँ राजा वही राजधानी मल्ला तीर्थ गया बन,
सेवा में भास्कर,तुका भोजन का करते प्रबंधन।
आये कुछ गोसाई सुना था उन्होंने नाम गजानन।
कहा पाटिल से हम गोसाई,करो हमारी सेवा जतन,
हम तीर्थ यात्रा है अग्रसर,रामेश्वर जाना लेकर गंगाजल।
आएं है हम दुर्गम रास्तो से,सेवा कर पाओ पुण्यों का फल।
ब्रह्मगुरु की सेवा से,होंगे तुम्हारे तीनो लोक सफल।
हलवा पूड़ी की दिलाओ हमे,गांजे का भी करो प्रबंध।
हम वैराग्य वान गोसाई है,वेदों का करते वाचन।
आओ मल्ले में और सुने ब्रह्मगिरि का करे श्रवण।
कहकर यह सब गोसाई मल्ले की ओर करते गमन।
ब्रह्मगिरि फिर करने लगा वेद का निरूपण।
ग्रामीणों को वह अनुचित लगा ,आये सब गजानन के दर्शन।
यह देख गोसाई क्रोध से गांजे का लगे सेवन।
भास्कर ने फिर चिलम बनाकर सम्मुख कर गजानन।
फिर उसने अंगार लगाया,जो गिरा उनके पलंग।
धुंए के साथ जलने लगा तेज अग्नि से वह पलंग।
जल्दी उतरिये महाराज छोड़ दीजिए यह पलंग।
पानी से ही बुझेगा उतरिये पलंग से साई गजानन।
ब्रम्हगिरी को जल्दी लाओ भास्कर से बोले गजाजन।
ब्रह्म को अग्नि जलाती नही,दिखाओ इसका प्रदर्शन।
डरकर प्रार्थना करने लगा गोसाई,देख मरण का यह प्रदर्शन।
हम है पेटू गोसाई हलवा पूरी को बोला हमने झूठ वचन।
लोगो के विनती से पलंग से निचे उतरे श्री गजानन,
देखा सबने क्षण में गिर पड़ा वह पलंग राख बन।
फिर गोसाइयों ने क्षमा मांगकर,पकड़े गजानन के चरण।
उपदेश दिया गोसाइयों को मत करो तुम झूठे प्रवचन।
बिना वाचन के न करो कथन,होता इससे संस्कृति का पतन।
संजीव बल्लाल १३/३/२०२४© BALLAL S