...

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हुस्न!
उस लम्हे को वक़्त से चुरा लो
तन्हा हो तुम भी इस गुरुर को मिटा लो
समझाने ज़माना बैठा है "इश्क़"
तुम स्वयम की सुनो
हमे अपना बना लो
© कृतिका जोशी