...

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काश! मैं शायर होता!
काश! मैं शायर होता!
तुम्हारी सादगी पर शायरी लिखता।
तुम्हारी झील सी आंखों में डूबकर
मैं चंद नगमें गुनगुनाता
काश! मैं शायर होता।

जब से तुमसे मोहब्बत किया हूं।
दीवाना नाम महफिल में लिया हूं।
तमन्ना है ,मैं बनकर पायल तुम्हारी
पैरों में बंध जाता।
काश! मैं शायर होता!
: कुमार किशन कीर्ति।



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