...

14 views

एक शख़्स
एक शख़्स था जो बस मेरा था
कुछ पल जीवन में ठहरा था
क्या नाम था उसका न पूछो
वो इश्क़ बड़ा ही गहरा था

हौले से थोड़ी बात हुई
बातों बातों में रात हुई
जब पहली बार मिले हम दोनों
झूम के थी बरसात हुई

न मैंने कुछ इज़हार किया
न उसने कुछ इनकार किया
आंखों में ही सब कह डाला
कुछ ऐसा हमने प्यार किया

इस इश्क़ से हम मशहूर हुए
मशहूर हुए मगरूर हुए
लाख संभाला उसने मुझको
हालात बड़े मजबूर हुए

अना के अपनी गुलाम हुए
बिगड़े से बनते काम हुए
इश्क़ न संभला संभले से
खाली रातों में जाम हुए

सीने से उसने लगाया मुझको
खूब भला समझाया मुझको
पर कहां होश समझने का
बड़ी मुद्दत से था पाया उसको

वो और भला क्या कह पाता
रुसवाई कब तक सह पाता
जब इश्क़ बचा ही न मुझमें
वो कैसे मुझमें रह पाता

है आती उसकी याद नहीं
कोई आया उसके बाद नहीं
बस पी लेता हूं भूलने उसको
अब मय में रहा वो स्वाद नहीं

© random_kahaniyaan