...

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जख्म....
मरहम लगाने वाले ही
जख्म यूँ दे गए..
मेरी कलम से निकलने वाले
शब्द भी बेवफा हो गए

कुछ  बेबस हवाएं
फिजा में  यूँ छाई है
कुछ आह और कुछ चाह लाई हैँ

तुम्हारे जीवन को
अर्थ देने के लिए
अपना जीवन यूं ही
व्यर्थ करते रहेंगे...

तुम्हारी यादों में डूब कर भी
खुद को मुकम्मल
हम यूँ करते रहेंगे...
तेरी याद में यूं ही मरते रहेंगे .

मरहम लगाने वाले ही
जख्म यू दे गये...
(सम्राट)