कहना बहुत कुछ है.....
कहना बहुत है कुछ कह नहीं पाता
रह रहा हूं तेरे बिन पर रह नहीं पाता।
पता नहीं किस जहां में खो गई हो तुम,
हंसती अंखियां भिगो गई हो तुम।
चांदनी रातें अब डसने लगी हैं,
दीवारें तेरे बिन अब हंसने लगी हैं।
अब तो सूना सा लागे आंगन मेरा,
जब से छूटा है दामन तेरा।
दिखती हो तुम जहां जाए नजर,
नींद ना आए अब एको पहर।
अक्सर ढूंढ़ती है आंखे तुम्हारे निशान,
जमी तो ढूंढ ली अब ढूंढे आसमान।
अब हर दिन खुद को समझाता हूं,
बीते लम्हों को भुलाता हूं। बिन सोचे अब रह नहीं पाता
हाले दिल किसी से कह नहीं पाता।।
तनहाई काट खाती है तेरी याद जब भी आती है।
दिन तो गुजर जाता है कमबख्त रातें सताती है। कहना बहुत है कह नहीं पाता
रहना है तेरे बिन पर रह नहीं पाता।
{VK सम्राट}
रह रहा हूं तेरे बिन पर रह नहीं पाता।
पता नहीं किस जहां में खो गई हो तुम,
हंसती अंखियां भिगो गई हो तुम।
चांदनी रातें अब डसने लगी हैं,
दीवारें तेरे बिन अब हंसने लगी हैं।
अब तो सूना सा लागे आंगन मेरा,
जब से छूटा है दामन तेरा।
दिखती हो तुम जहां जाए नजर,
नींद ना आए अब एको पहर।
अक्सर ढूंढ़ती है आंखे तुम्हारे निशान,
जमी तो ढूंढ ली अब ढूंढे आसमान।
अब हर दिन खुद को समझाता हूं,
बीते लम्हों को भुलाता हूं। बिन सोचे अब रह नहीं पाता
हाले दिल किसी से कह नहीं पाता।।
तनहाई काट खाती है तेरी याद जब भी आती है।
दिन तो गुजर जाता है कमबख्त रातें सताती है। कहना बहुत है कह नहीं पाता
रहना है तेरे बिन पर रह नहीं पाता।
{VK सम्राट}