हम अजनबी हैं ना...
हम अजनबी हैं ना..
हमारा कौन अपना हुआ है साहिब..?
अपने तो अपनों के होते हैं..
और हम पर तो एक दहशतनुमा
दाग़ लगा है-"अन्जानों से सावधान "
हमें किसका साथ मिला है साहिब..
मानो हम में मानवता ही नहीं होगी..!
कोई जानता नहीं पहचानता नहीं..
ना जाने हम किस पर छुरी चला दें.!
किसका क्या बिगाड़ दें..!
हम अंजाने लोग...!!
हमारा अपना कोई कैसे...
हमारा कौन अपना हुआ है साहिब..?
अपने तो अपनों के होते हैं..
और हम पर तो एक दहशतनुमा
दाग़ लगा है-"अन्जानों से सावधान "
हमें किसका साथ मिला है साहिब..
मानो हम में मानवता ही नहीं होगी..!
कोई जानता नहीं पहचानता नहीं..
ना जाने हम किस पर छुरी चला दें.!
किसका क्या बिगाड़ दें..!
हम अंजाने लोग...!!
हमारा अपना कोई कैसे...