जो आ रहा समय, आने दो
रहे कोई कब तक उदास
मन नहीं है किसी का दास
जो सोच रखा है विधाता ने,
वो भेद सारे खुल जाने दो
जो आ रहा समय, आने दो
नियति का जो हैं खेल प्रबंध
दिख रहा सब कुछ मंद मंद
कर्मों को अपने रखो तैयार,
हो भाग्य...
मन नहीं है किसी का दास
जो सोच रखा है विधाता ने,
वो भेद सारे खुल जाने दो
जो आ रहा समय, आने दो
नियति का जो हैं खेल प्रबंध
दिख रहा सब कुछ मंद मंद
कर्मों को अपने रखो तैयार,
हो भाग्य...