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तुम और मैं ( Hindi version of the poem—You and I, written by Dr. Manish Rout)🌺💐
हम और तुम
थे मीलों दूर,
बस, गुफ्तगू
होती रही,
अहसास
लफ़्ज़ों में लिखते रहे,
फिर भी,
कशिश बनी रही,
तुम से चाहत बनी रही,
अनिश्चितताओं का
डर बना रहा,
भरोसा टूटने का खौफ भी बना रहा,
मैं सुकून की तलाश में
था मेरे पोशीदा दर्द से,
तन्हा रातों में तेरी मगर गैरमौजूदगी खलती रही,
ऐसे में मैंने हवाओं को धीमे से कहा,
तेरे लिए मेरा प्यार भरा
पैगाम ले जा,
मेरी चाहत ओ ख्वाहिशों का
तुझे संदेशा दे आ,
चांद के नूर में देखो मेरे अश्क चमकते हैं,
मैं ख्वाबों में भी नरम जज़्बात पकड़ता हूं,
गुज़रते वक्त के साथ मगर मैं तैरता उतरता हूं,
चलो, कोई रास्ता खोजते हैं,
कोई खास तरीका
निकालते हैं,
तुम्हें पास लाने का, दूरियां मिटाने का,
कोई तो रास्ता
तलाशते हैं,
तुम और मैं,
इश्क हमारा बेशक
परवान चढ़ेगा, सब कुछ सहेगा,
उस दिन तलक, जब हम मिलेंगे,
कभी जुदा न होने के लिए,
यकीनन हम तुम मिलेंगे!
♥️🌺♥️🌺♥️🌺
— Vijay Kumar
© Truly Chambyal
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