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सोच क्या होगा।
तुम्हें हम भी सताने पर उतर आए तो क्या होगा
तुम्हारा दिल दुखाने पर उतर आए तो क्या होगा
हमे बदनाम करते फिर रहे हो अपनी महफ़िल मे
अगर हम सच बताने पर उतर आए तो क्या होगा
ये ना समझ के हम दीवाने हैं तेरे तो बेगैरत भी है
हम अपनी अदा दिखाने पे उतर आए तो क्या होगा
बहुत मिलते है राँझे और मजनू हर गली मे खड़े
तुझे दरकिनार करने पे हम उतर आए तो क्या होगा
कुछ वक़्त ने बदला कुछ तुमने मेरी मासुमियत को
जुनून से ज़िद्द पे हम उतर आए तो क्या होगा
मैं अपने आप में मुकम्मल एक आग सी हु
तुझे राख करने पे उतर आए तो क्या होगा
© All Rights Reserved
तुम्हारा दिल दुखाने पर उतर आए तो क्या होगा
हमे बदनाम करते फिर रहे हो अपनी महफ़िल मे
अगर हम सच बताने पर उतर आए तो क्या होगा
ये ना समझ के हम दीवाने हैं तेरे तो बेगैरत भी है
हम अपनी अदा दिखाने पे उतर आए तो क्या होगा
बहुत मिलते है राँझे और मजनू हर गली मे खड़े
तुझे दरकिनार करने पे हम उतर आए तो क्या होगा
कुछ वक़्त ने बदला कुछ तुमने मेरी मासुमियत को
जुनून से ज़िद्द पे हम उतर आए तो क्या होगा
मैं अपने आप में मुकम्मल एक आग सी हु
तुझे राख करने पे उतर आए तो क्या होगा
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