...

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सोच...!!!
रंग गोरा हो, सांवला हो या काला हो, किसी का चरित्र प्रमाण थोड़ी हैं,
सभी रंगों, किस्मों के जीवों की हैं यह दुनिया, किसी एक का जग थोड़ी है,
ख़ुदा ने बोया हमको हर रंग में, पर बदला बहती रगों का रंग थोड़ी हैं,
जाति, धर्म, रंग के भेद बनाएं और मानें हमने इसमें भगवान की भूल थोड़ी हैं,
आज के हालात को देखें तो इंसानों ने इंसानियत खुद में ज़रा भी रखी थोड़ी हैं,
बेजुबानों से लेकर जुबां वालों के साथ बेगैरतों सा सलूक करता, यह इंसान का रूप थोड़ी हैं।
© Rajat