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गुलाब लिए बैठा
वो बद हवा कब लगी मेरे यार को
कि खुद की सच्चाई ईमानदारी की पहचान खो बैठा
न जाने
क्यों ही बदल गया
जो हर बार झूठ
छुपाने है बैठा।
अक्सर वो मेरे ख्वाब लिए जिंदगी में मशगूल रहता था
आज वो बेइमानी की इबारत लिए बैठा।
उसको कहो कोई
आजा लौट आ
मैं आज भी वही तेरे इंतजार में
गुलाब लिए बैठा।
बता दे रात की हर सच्चाई
मैं सूरज सा दिया लिए बैठा
तुम्हारा
© J. R. GURJAR
कि खुद की सच्चाई ईमानदारी की पहचान खो बैठा
न जाने
क्यों ही बदल गया
जो हर बार झूठ
छुपाने है बैठा।
अक्सर वो मेरे ख्वाब लिए जिंदगी में मशगूल रहता था
आज वो बेइमानी की इबारत लिए बैठा।
उसको कहो कोई
आजा लौट आ
मैं आज भी वही तेरे इंतजार में
गुलाब लिए बैठा।
बता दे रात की हर सच्चाई
मैं सूरज सा दिया लिए बैठा
तुम्हारा
© J. R. GURJAR
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