...

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सुबह की शुरुआत
सुबह उगता हुआ सूरज "
जब...पूरे संसार पर...
अपनी किरणें बिखेरता है,
बड़ा खूबसूरत-सा "
सुबह का वह मंजर होता है,,,!!
लालिमा होती है "
उस उगते...सूरज के चारों ओर...
देखते ही अपने आस-पास,
हल्का-सा उजाला "
पशु-पक्षियों को...सुबह होने की...
खबर मिलती है,
करते है फिर वह रोज की तरह "
अपनी दिनचर्या शुरू,,,,,
इंसानों से भी पहले पशु पक्षियों की,
सुबह होती हैं.....!!
भरकर अपने पंखों में उड़ान "
उड़ जाते है वो...नीले से आसमान मे...
उसके बाद देती है पेड़ों को,
सूरज की किरणें अपना पैग़ाम,,,,
करती है पेड़ों की पत्ती फिर अपना काम "
झूमती है वह...होकर मस्त मगन....
बहती हुई शीतल हवा से "
सुबह में लाती है ताजगी का एहसास,,,,,!!
सूरजमुखी के फूलों तक शीतल हवा,
सूरज का...पैग़ाम पहुँचाती है...
देकर उनको हल्का-सा हवा का झोंका "
खिलने का आदेश सुनाती है,,,,,!!
आती है फिर सुबह-सुबह मुर्गे के "
कुकडू-को बोलने की बारी,
होती है शुरू फिर...उस आवाज से....
इंसानों के उठने की बारी,,,,!!
पेड़ों की डाल पर बैठी कोयल भी "
नई सुबह का...जश्न मनाती है...
निकाल कर अपने गले से मधुर आवाज,
कू-कू-कू गीत गाती है,,,,!!
रोज होती है नई सुबह और "
रोज एक नई जिंदगी...सबको मिलती है...
होने चाहिए जीवन में सभी काम,
नियामों के ही हिसाब से "
सुबह-सुबह...प्रकृति से....
इंसानों को यही सीख मिलती है,,,,!!


© Himanshu Singh