...

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वो परी सी है पवित्रता सी है।
सुरज निराला है धूप कड़ी है।
अभी आए ये आने की घड़ी है।

वो परी सी है पवित्रता सी है।
तक़दीर मेरी ये कहां लड़ी है।

याद मुझे तुम्हारी आ रही थी।
आगेए तुम, उम्र लम्बी बड़ी है।

फिर से बिछड़े दो चाहने वाले!
फिर दिल में दर्द ही दर्द भरी है।

पास आया वो हमदर्द बनकर!
जब जब मेरी तकलीफ़ बड़ी है।

मुस्कुरा ले अभी तो तू "महज़"!
रोने को तो सारी उम्र पड़ी है।
© महज़