...

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दिल की बातें
कैसे कहूँ दिल की बातें, सब जानते तो फिर भी है कहना।
दूर मुझे अब नही रहना,तेरी ही शरण मे रखना।
बरसों भटका दर दर मैं,अब तेरे दिल मे ही रहना।
कौन दिखाया तेरी राह,किसने जगाई तेरी चाह।
यह तेरा प्रेम ही मुझे,तेरे करीब तक लेकर आया।
जितनी खुशियाँ मैं दे पाऊं, उतनी तुझे कर दूं समर्पण।
दूर तुझसे अब रह न पाऊं, तेरी चाहत पर जीता जाऊं।
संजीव बल्लाल १४/३/२०२४© BALLAL S