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बात गहरी है जरा, किसी का शुक्रिया!
कहानी अक्सर सच्चाई से ही जन्म लेती है ,यह जरूरी नहीं हर सच्चाई कहानी ही होती है!
आकांक्षाएं बहुत थी उस छोटे से दिल में, आशाएं कहां टिकी उसमें ,शीर्ण हो गई वह पल भर में।
वह नन्हे कदम अब बड़े हो रहे थे ,न जाने कैसे ,पढ़ाई की ओर बढ़ रहे थे।
भागी वह स्कूल की ओर ,
मां पा की उंगली छोड़,
यहाँ से शुरू हुआ उसकी जिंदगी का एक अहम व नया मोड़!
बेखबर इस खबर से पैर थक भी जाएंगे, तो भी अब रुक नहीं पाएंगे,

उस दिल को दिमाग से कहां ही खेलना आता था,
दोस्त बनना और बनाना काम यह भी बड़ा सताता था।
गुस्ताखी बस इतनी ही थी की शोर में उन्होंने खामोशी ढूंढ ली थी
हां एक दो साथी तो थे,
साथ दे ही देते थे वे,
फर्क इतना है आज जो है वह वक्त देते हैं!
बदले में पता नहीं क्यों?
पर कुछ नहीं लेते है!

चांद बनने की ख्वाहिश कहां थी उन्हें!
पर रोशनी की तलब जरूर थी उन्हें, उसने चाहा था हर बार आगे जाना ,
पर आता ही नहीं था ,सहपाठियों की बातें सहपाना !
सीख सीख कर आज भी वह सीख रही है,
पहले दिन वह जैसी थी कहीं ना कहीं आज भी वह वही है।

लोग कहते ,उसकी जिंदगी ने रफ्तार पकड़ ही ली ,
कब बालवाड़ी से दसवीं में आ गई,
पर उसके लिए तो मानो, यह एक सदी ही थी!
पता ही नहीं चला कब रोशनी की इच्छा रखने वाली, अंधेरे से छा गई!

सोचा क्या कर पाऊंगी सही को सही?
उसके दीये में तेल कभी था ही नहीं!
क्या गढ़ पाऊंगी रास्ते सौ ?
ऐसे कैसे जलती उसकी आत्मविश्वास की लौ !

समय की भागा दौड़ी में उसे समय ने जकड़ ही लिया ,
एक हाथ ,जिसकी वर्षों से तमन्ना थी, उसने उसे आकर पकड़ ही लिया।

वह फरिश्ते जो अक्सर अलग दुनिया में सोते हैं,
अरे आंखें खोलो जनाब,अक्सर तुम्हारे सामने ही होते हैं!

यह लम्हा सोचा नहीं था उसने ,
पर खुलकर उसने जी ही लिया ,
टूटी ख्वाहिशों का गुच्छा वापस उसने ,सी ही दिया!

उस तितली ने उसे उड़ना सिखा दिया,
मानो ज़मीन पर खड़ा कर ,उसके लिए आसमां झुका दिया!

आखिरकार उसने उसे लोगों से घुलना मिलना सिखा ही दिया,
अंततः उसको उससे मिला ही दिया।

मिलने वालों को एक दिन अलग होना ही था ,जिसने इतना हसाया, उसके लिए तो रोना ही था।
वह चली गई ,नई मंजिल की ओर ,
उसे उसके ही साथ छोड़ ,
पर अब 11वीं कक्षा में इंतजार कर रही थी जिंदगी की नई तरंगे,
यहां नए और सच्चे दोस्त बने ,एक बार फिर उसमें जागी नई उमंगे!

इतने तारों के बीच है वह आज , वजह वह चांद है ,वह चांद है इनका जरिया ,
इस गुलमोहर के लिए एक ही अल्फाज है वह है, शुक्रिया……!
धन्यवाद दोस्तों अपना वक्त मेरी कविता को देने के लिए!


© Aarti Solanki