मेरे देश का किसान
कड़कती हुई धूप में भी
वह निरंतर परिश्रम करता है।
मेरे देश में कोई भूखा न हो,
यही आश लगाए बैठा है।।
यह और कोई नहीं परंतु,
मेरे देश का किसान है।
अमर है जिसका परिश्रम,
बेमिसाल जिसकी पहचान है।।
रोज सुबह जल्दी उठकर,
वह खेत की ओर निकलता है।
खून - पसीना अपना बहाकर
वह देश के लिए फसल उगाता है।।
बीज बोने से लेकर के,
फसल को उगाने तक।
निरंतर परिश्रम किया उसने,
फसलों की कटाई तक।।
सलाम है उन किसानों को,
जो पाल रहे हैं देश का पेट।
नहीं है कोई भूखा इनकी बदौलत,
हमारे किसान तो हैं दिल के सेठ।।
आओ हम सब करें इनका सम्मान,
यही तो हैं देश की असली शान।
तभी बनेगा देश महान,
जब खुश रहेगा देश का हर किसान।।
-सिद्धांत मेहरा
© sidhant
वह निरंतर परिश्रम करता है।
मेरे देश में कोई भूखा न हो,
यही आश लगाए बैठा है।।
यह और कोई नहीं परंतु,
मेरे देश का किसान है।
अमर है जिसका परिश्रम,
बेमिसाल जिसकी पहचान है।।
रोज सुबह जल्दी उठकर,
वह खेत की ओर निकलता है।
खून - पसीना अपना बहाकर
वह देश के लिए फसल उगाता है।।
बीज बोने से लेकर के,
फसल को उगाने तक।
निरंतर परिश्रम किया उसने,
फसलों की कटाई तक।।
सलाम है उन किसानों को,
जो पाल रहे हैं देश का पेट।
नहीं है कोई भूखा इनकी बदौलत,
हमारे किसान तो हैं दिल के सेठ।।
आओ हम सब करें इनका सम्मान,
यही तो हैं देश की असली शान।
तभी बनेगा देश महान,
जब खुश रहेगा देश का हर किसान।।
-सिद्धांत मेहरा
© sidhant
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