...

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उसकी खुशी मेरी मंजिल ...
इश्क उसे भी था ,
चाहती वो भी मेरे साथ रहना थी ,
नादान थी वो अब थोड़ी समझदार होगई,
मेरी खाली जेब देखी तो वो धीरे धीरे बहाने बना मुझसे दूर हो गई ,

मैं लायक नही हूं तुम्हरे,
न सीरत है न सूरत ,
यह बातें वो अपने बारे में अक्सर कहने लगी ,
मैं धीरे धीरे समझने लगा वो बहाना ढूंढ रही है दूर जाने का ,
और मैने उसे कुछ कहना छोड़ दिया ,
खुद के बढ़ते कदमों को उसकी ओर जाते रोक दिया ,
बनाया खुद को उसके सामने बुरा और उसकी दो चार बुराइयां भी की और इस तरह से वो मुझसे दूर हो गया ।।।।

उसकी खुशी शायद वो समझ गई थी ,
प्यार से घर नहीं चलता ,
प्यार तो अधूरा रह सकता ,
परिवार के लिए पैसा जरूरी है ।।

© lafzbykabir