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kuch khwaab aisse bhi
इस दिल की दास्तान कुछ इस कदर है। ये भोला परिंदा इस बेदर्द दुनिया से बेखबर है। ये मुस्कान अक्षर नौसिखियो की कठिनाइयों में काम आती है। उनके राह डगमगाते जहाज़ो को भवसागर ले जाती है। कमबख्त पता नही ये मेरी खुशनसीबी है या बदनसीबी जो ये मेरी कलम मुझ मे ऊँचा उड़ने की उमंग भरती है।
© @NAVU07
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