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अंतर है
#writcopoem
में आसमान का बूंद हूं
जो समन्दर मे गिरता है,
तुम सुबह का ओस हो
जो फूल से जा खेलते हो,
मैं झरना सा गिरता फिरता हूं,
तुम नदी सा जो संभल ते हो,
में खाली कागज का पन्ना हूं,
तुम रंगों से भरी एक चित्र हो,
मे आज भी अकेला घुमाता हूं,
राहो से भटकते रहता हूं,
मे हवा से जूझता दिया हूं,
तुम सितारों सा जगमग करते हो।
© Drath
में आसमान का बूंद हूं
जो समन्दर मे गिरता है,
तुम सुबह का ओस हो
जो फूल से जा खेलते हो,
मैं झरना सा गिरता फिरता हूं,
तुम नदी सा जो संभल ते हो,
में खाली कागज का पन्ना हूं,
तुम रंगों से भरी एक चित्र हो,
मे आज भी अकेला घुमाता हूं,
राहो से भटकते रहता हूं,
मे हवा से जूझता दिया हूं,
तुम सितारों सा जगमग करते हो।
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