...

8 views

पेड़ की बातें

चिलचिलाती धूप में
लेकर कागज़ कलम बैठा था
कुछ लिखने एक पेड़ की ठंडी छांव में

झुक कर पेड़ ने भी कह दिया आखिर
याद आई ना नई कविता बैठकर मेरी छांव में

जब जाती बिजली तुम्हारे घरों में
अक्सर मेरी याद आती है
या तब जब सुबह - सुबह टहलने की बारी आती है
(हां , वहीं जिसे तुम माॅर्निंग वाॅक कहते हो)

वरना कौन पूछता है
हमें इन पक्षियों के अलावा
हम तो है ही जीव-जंतुओ का सहारा

सुना है अब तो ऑक्सीजन भी
सिलेंडर में भर के आ जाती है
पर भुलना मत हमारे अलावा तो
ऑक्सीजन भी डगमगा जाती है

छोडकर स्वार्थीपन सोचना
कभी बैठकर मेरी छांव में
क्या कभी बिन हवा के
बारिश आती है तेरे गांव में

अगर हो गई तेरी कविता पूरी
तो क्षण भर सोजा मेरी छांव में ।

© Pradeep Raj Ucheniya




(आप सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
प्रकृति को हमारी सनातन संस्कृति में मां का दर्जा दिया गया है और यह हमारे लिए सदैव पूजनीय है।)

#environment #WritcoQuote #writco #writcoapp #newwriter #5jun #monday #writer #environment