...

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ना दंभ लेकर चलते हैं
न दंभ लेकर चलते हैं ना अभिमान लेकर चलते हैं..
जो कर्मक्षेत्र मे अर्जित वह स्वाभिमान लेकर चलते हैं..

ना तीर लेकर चलते हैं ना तलवार लेकर चलते हैं..
हम अपने हृदय मे क्रांतिकारी विचार लेकर चलते हैं..

ना खादी लेकर चलते ना,अपराधी लेकर चलते हैं..
हम अपने जुनूँ मे गद्दारों की बर्बादी लेकर चलते हैं..

ना पद के लिए मचलते हैं,ना धन के लिए मचलते हैं..
हम देशभक्त हैं बस गुलज़ार-ए-वतन के लिए मचलते हैं..

निज शब्दों मे माँ सरस्वती का वरदान लेकर चलते हैं..
न दंभ लेकर चलते हैं ना अभिमान लेकर चलते हैं.. ।।

ना दुख मे कृन्दन ना ही सियासी चरणों का वंदन करते हैं..
फैलाए भुजाएँ हम तूफ़ाँ का, सहृदय अभिनंदन करते हैं..

ना क्षणभंगुर सी चुनौतियों से अपनी राह भटकते हैं...
हम दुष्ट् जनो की ग्रीवा मे अस्ति की तरह अटकते हैं..

ना चिंता करें भविष्य की ना लोभ मे घुट घुट मरते हैं..
हम इतिहासों के सीने पर नए अध्याय अंकित करते हैं..

निज निर्मल मन मे गीता जी का ज्ञान लेकर चलते हैं..
न दंभ लेकर चलते हैं ना अभिमान लेकर चलते हैं..

✍️ललित श्रीवास्तव शब्दवंशी🖊️
© ललित श्रीवास्तव"शब्दवंशी"