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आपकी याद...
जब सूरज ढालने पर धुंधलका आसमान में छा जाता है,
उन विविध आकारों मे बेहती बादलों के बीच,
मुझे याद है आपकी मुस्कान की वक्रता आपके डिम्पल को दर्शाती है।
जेसे-जेसे रात बीतती है और सितारे टिमटिमाते हैं,
मुझे याद है आपकी उंगलिया मेरी पीठ पर दौड़ रही है और यह गुदगुदी करती है।
जब मेरी त्वचा से होते हुए वो शीतल हवा गुज़रती है
और चाँद मेरे कमरे को रोशन करता है,
मुझे आपकी वो खुशबू याद है
इत्र की तरह फैल रहा है।
जब भोर की हवा में सन्नाटा घुल जाता है,
मुझे याद है आपकी आवाज़ में वो शांति,
आपका मेरे कान में प्यार से फुसफुसाना।
गहराई तथा चौड़ाई तथा ऊंचाई तक
मुझे आपसे प्यार है।
ओ मेरे जानेमन, मेरे हर एक टुकड़े पे,
बसी आपकी याद है।
© Rupa
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मेरी पूर्व अंग्रेजी कविता "I remember thee" की हिन्दी संस्करण...
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