![...](https://api.writco.in/assets/images/post/user/poem/948230716114316847.webp)
2 views
जिंदगी लहरों सी
आशा और निराशा
आती हैं...जाती हैं।
कभी गौर से देखा है लहरों को?
किनारे आती हैं
लौट जाती हैं......!
आवाज करती हैं.......
फिर विलीन हो जाती हैं।
अस्तित्व की जद्दोजहद
या फिर
संघर्ष की तड़प.....
कभी गौर से देखा है लहरों को ???
कभी चरम पर
कभी पराभव में
कभी किनारे की तपती रेत पर
कभी खुद ही सागर की छाती पर
कभी गौर से लहरों को देखा है???
वो बनती हैं...
मिटती हैं.....
अनंत बार......
सृजन होता है....
विनाश होता है....
यही जिंदगी है दोस्त!!!
आती हैं...जाती हैं।
कभी गौर से देखा है लहरों को?
किनारे आती हैं
लौट जाती हैं......!
आवाज करती हैं.......
फिर विलीन हो जाती हैं।
अस्तित्व की जद्दोजहद
या फिर
संघर्ष की तड़प.....
कभी गौर से देखा है लहरों को ???
कभी चरम पर
कभी पराभव में
कभी किनारे की तपती रेत पर
कभी खुद ही सागर की छाती पर
कभी गौर से लहरों को देखा है???
वो बनती हैं...
मिटती हैं.....
अनंत बार......
सृजन होता है....
विनाश होता है....
यही जिंदगी है दोस्त!!!
Related Stories
3 Likes
1
Comments
3 Likes
1
Comments