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नजरिया


नजरिया
नजरिए नजरिए की बात है जनाब,
वरना यहां कौन गलत कौन सही है साहब!

एक के नजरिए ने देखा फूल बगिया में,
दूसरा बोला देख रहा कांटे इस बगिया में!

व्यक्ति है एक, पर नजरिए भिन्न भिन्न होते है उसके बारे में,
यह है फर्क संस्कारों का हर व्यक्ति में!

नहीं कहते बदल लो अपना नजरिया पल में,
पर दूसरे के नजरिए को समझो जीवन में!

देख अलग नजरिया मत ला घृणा मन में,
शायदवाद के मर्म को अपना, प्यार बिखेरो हर जन में!

अपने नजरिए से छू लो अर्श, न ले जा उसे गर्त में,
सही हो तो डटे रहो, रखो सकारात्मक सोच मस्तिष्क में!

ढाल लो अपने नजरिए को परम पिता की सोच में,
प्रेम, अहिंसा, करूणा, मैत्री ही रहेगा कण कण में!

रूचि प जैन