...

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सच कहो

आज पूछती हूं तुमसे, जो आजतक नहीं पूछा
सच सच कहो, तुम्हें कितनी मोहब्बत है मुझसे,

इश्क़ था भी या यूं ही वक्ति खिलवाड़ ही किया
मोहब्बत का झूठा नाटक और खेल किया मुझसे,

कैसे सहन करें, कैसे निभाएं इश्क़ की रवायतें
न कभी प्यार किया, न कभी निभाया इश्क़ मुझसे,

बेहद दर्द और बेइंतेहा तकलीफ़ उठती है सीने में
कितने ही सवालों के जवाब छिपाए तुमने मुझसे,

सच कहते तो निभा जाते, माफ़ भी कर देते मगर
दिल को खिलौना समझ, झूठा खेल निभाया मुझसे,

एक काश और मलाल में सिमट कर रह गई ज़िंदगी
किससे पूछें कौन बताएगा, कौन सच कहेगा मुझसे !

© सुधा सिंह 💐💐