...

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बादल
आसमान में बादलों को देखो
कैसे उड़ रहे हैं ...
कितने एहसासों को लपेटे
कितने सपनों की उड़ानों को समेटे
कितने ख्वाबों को बांधे
कितनी आशाओं को सहेजे
कितनी उम्मीदों के धागों को बुनते
कितनी आकांक्षाओं की जंजीरों से बंधे हैं
फिर भी देखो न आसमां की गोद में
हल्के फुल्के से तैरते
सब फिकरों को पीछे छोड़ के
बस उड़ रहे हैं
उड़ रहे हैं...
उड़ रहे हैं ..........
© Geeta Dhulia