...

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आई तूने बताया नही
बहते हम उस धारा में,जिसका कोई ओर नही छोर नही।
डूब जाएंगे पता है फिर भी,छटपटाना छोड़ते नही।
मिला है जो जीवन मे,पाकर होते संतुष्ट नही।
अब तक जो सीखा इस जग में, सीखना क्या पता नही।
साथ हमारे चलते है,सीख देना हमे भूलते नही
कब छुटे उनके हाथ,अब तक ये पता चला नही।
अच्छा कर उसे आनंद देना,आनंद के क्षण वो साथ नही।
जो विचार तुमसे मिले, कभी तुम्हे सुनाए नही।
इतना सब कुछ कर कर भी,तुमने कभी उसे जताए नही।
साथ तेरा है अब हर कहीं,दूर रहकर भी तू दूर नही।
जीवन की कुछ उपलब्धियों में,अब तू नही तेरा साथ नही।
मिले जन्म फिर तेरे गर्भ से,और कोई दूसरी चाहत नही।
आई तू चली जायेगी,ये सबको बताया ही नही।
तू अकेली है वहाँ, लेकिन बिल्कुल घबराना नही,
मिलेगा गजानन का साथ तुझे,ये मैने बतलाया ही नही।
संजीव बल्लाल १२/३/२०२४© BALLAL S