चांद
हर रोज तुम्हें खिड़की से निहारते हैं
बेहिसाब प्रेम तुझसे करते हैं
जिस दिन तुम पुरा निकलते हो
उसी दिन सुकून हम पाते हैं
जिस दिन तुम नहीं दिखते
उस दिन हमारी दिल नहीं लगता
तुम्हारा चेहरा हमारी नजर से नही हटता।।
बेहिसाब प्रेम तुझसे करते हैं
जिस दिन तुम पुरा निकलते हो
उसी दिन सुकून हम पाते हैं
जिस दिन तुम नहीं दिखते
उस दिन हमारी दिल नहीं लगता
तुम्हारा चेहरा हमारी नजर से नही हटता।।
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