...

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रात पूनम
रात पुनम की ओर महताब
आज जाने क़्यू बाम पे
मेरा यार ना आया,,
अँधेरा ही अँधेरा एसा छाया
लगता है काली घटा ने आज फिर
उसे अपने आशियाने मे छुपाया ,,,

झुकी पलके कह रही हैं बहुत कुछ
आज फिर उसने गेसुऔ मे
फुलो का जुड़ा लगाया ,,
सुर्ख लाल जोड़े मे वो लगती है
नई नई सी दुल्हन ,,
लगता है आज महताब मारे हया के ,,
रात पुनम की है ओर नज़र ना आया,,
© jitensoz