...

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जरूरत नहीं..🌹🌹✍️✍️ (गजल)
मैं जैसा भी हूं वैसा ठीक हूं
मुझे बदलने की जरूरत नहीं

हम तेरे साथ चिलकती
धूप में भी चलेंगे
इस सूरज को ढलने की
जरूरत नहीं

मुझे मंजिल पता है
अपनी 'सत्या'
जमाने के संग चलने की
जरूरत नहीं

कांटे अलग करने हैं
तो शौक से करो
मगर फूलों को कुचलने की
जरूरत नहीं

मेरा हर पल साथ
देता है खुदा
मुझको संभलने की
जरूरत नहीं

मेरे पास जितना है
खुश हूं उससे
मुझे औरों से जलने की
जरूरत नहीं

मैंने जुगनुओं को कैद
कर लिया मुट्ठी में
अब चांद को निकलने की
जरूरत नहीं

कोई काट कर फेंक
गया है जड़ें इसकी
इस पेड़ को फूलने फलने की
जरूरत नहीं




© Shaayar Satya