अब मुझको वो किताब सी लगती
अब मुझको वो किताब सी लगती है।
बैठा हूं जब से उसको साथ में लेकर।
न जाने क्यों उसकी यादों की उबासी आती है?
पता है वो मुझको समझ में आती नहीं है।
फिरभी किताबों से खोलकर पढ़ने के लिए तैयार रहता हूं।
कभी एक लाइन तो कभी एक...
बैठा हूं जब से उसको साथ में लेकर।
न जाने क्यों उसकी यादों की उबासी आती है?
पता है वो मुझको समझ में आती नहीं है।
फिरभी किताबों से खोलकर पढ़ने के लिए तैयार रहता हूं।
कभी एक लाइन तो कभी एक...