...

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इश्क़
लबों पर मुश्कान बस यूँही आ जाती
जाड़े की गुनगुनी धूप और तेरा ख्याल
जब भी है चूमती मुझको,
एक सुकूँ सा मिलता है इस दिल को
तेरे अधरों की तब्बसुम की बेला
खुले केश, झुकी नज़रों ने जब भी देखा मुझको,
खो कर ख़ुद को तुझमें खुद को है पाया
सज़दे में तू और मुझमें तू
ये इश्क़ कुछ यूं अपना.
© LivingSpirit