...

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तथ्य
तर्क के तथ्य हैं
गले उतर ही जाएंगे
कब तक बनें रहेंगे बेगाने
इक दिन समझ ही जाएंगे

जादूगरी के धोखे में मत उलझ रहो
माया के मीत हैं समझ रहो
मधुगान हैं तो मन खिंच ले जाएंगे
न खत्म होगी खैंचा तानी, भ्रम न मिट पायेंगे

उमड़ पड़ा ये सैलाब सा क्या
बहता हुआ पहुंच गया मैं कहां
तीर का तेज गढ़ गया जिगर में
मस्तियों के सागर जाएंगे अब कहां

सनातन सदा का सत्य है
यही तो वह तत है
जिसमें प्रेम ही तथ्य है
अनंत का बादशाह वहीं, मेरा लक्ष्य है...।


© सुशील पवार