...

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कभी जो रवानी थे..
कभी जो रवानी थे सांसों की
जाने आज क्यूँ नहीं..
वो अनचाहा सावन थे आँखों के
जाने आज क्यूँ नही

दरमियान-ऐ-दिल
धीरे धीरे बढ़ रही हैं दूरियां
कुछ तो...