...

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सात दिन
जैसे ही मेरा
पेट भरा...
मैंने पाया–
मेरा धर्म ख़तरे में था,
मैं निकल पड़ा
धर्म बचाने...

चार दिन–
मैंने
धर्म बचाया...

पाँचवें दिन–
भूख लगी तो
रोटी ढूँढने निकला,
नहीं जा पाया धर्म बचाने...
(पर धर्म बचा रहा, टल गया था ख़तरा)

छठा दिन–
पेट के इंतज़ाम में निकला,
आख़िर मिली रोटी...

सातवें दिन–
जैसे ही मेरा
पेट भरा...
मैंने पाया–
मेरा धर्म ख़तरे में था...
© Lekhak Suyash

#lekhaksuyash