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यादें पापा जी की ,,,
RAAJ PREEET

पापा थे साथ तो दुनिया के मेले थे
सोच कर देखा आज तो पापा दिल से अकेले थे
छौटी उम्र मे बाते बडी पापा ने समझाया था
लिखने लगा जब PREEET तो खयाल उनका आया था
बिठाकर अपने काँधे पर पापा ने दुनिया दिखाई थी
न करना इंतजार किसी का PREEET बात यह सिखाई थी
बेटी जब पापा से बिछडी तो छुट यह संसार गया
ससुराल मे जगह नही और अपनो का भी प्यार गया
आंखो मे आंसू आ गये सोचा जब सारा हाल गया
पढकर शायरियां PREEET की बोले वाह क्या कर यह कमाल गया
पापा ने सर्दी गरमी कभी देखी नही
जब से परिवार सम्भाला था
मां बाप ने PREEET को
बडे चाव से पाला था
जब पापा का साथ था तो पानी पर कश्तियाँ चलती थी
बचपन बड़ा हशीन था ख्वाईश बहुत दिल मे पलती थी
जब दिन निकलता था और जब शाम ढलती थी
महसुस PREEET को तब हुआ कमी पापा को कोई तो खलती थी
जब पापा काम पर जाते थे और हम स्कुल जाते थे
पापा का जब साथ था तो हम सब दुख भुल जाते थे
जिससे मौज उडाते थे वो कमाई पापा की थी
परिवार भी क्या परिवार था दुनिया बसाई पापा की थी
जिससे PREEET सुधरा था वो पिटाई पापा की थी
परंपरा हमारी क्या है सब बात समझाई पापा की थी
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बेटी
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विवाह कर जब ससुराल गई वो लाढली पराई पापा की थी
ढोली मे जब विदा किया फिर आंख भर आई पापा की थी
एक बेटी के दहेज के लिए कर्ज मे जिन्दगी डुबाई पापा की थी
फिर फट्टे पुराने कपड़ो मे उम्र बिताई पापा की थी
बेटी ने बिन बाप के जो छत गंवाई पापा की थी
PREEET गंगा मे जाकर फिर जो अस्थियाँ बहाई पापा की थी
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PREEET लिखने को किस का दिल करता है
दर्द लिखते है जब दिल भरता है
पापा के बिना दिल अकेला डरता है
मतलबी दुनिया मे फिर भी रहना पड़ता है
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सबने यही तो जाना है
PREEET तो आवारा पागल दीवाना है
जो दिल मे है वो लिख जाना है
कहाँ PREEET से किसी ने दिल लगाना है
हमारा भी यही समझाना है
बस कुछ पलों का यह जमाना है
बातें झुठी लिखकर यारो हम किसी का दिल लुभाते नही
सभी आ सकते है लौटकर जिन्दगी मे
पर माँ पापा बिछड़ गये तो कभी आते नही
😓😓

© आवारा पागल दीवाना