हरसिंगार
फूल हरसिंगार के
रात में खिले, महके
जिस डाल को सजाया
उसी डाली ने ठुकराया
उनसे मोह न तजा
ये कदमों में बिछ गए
और फिर उन्हीं कदमों से
कुचल भी दिए गए
मिल गई सजा मोहब्बत की
कुचले फूलों से क्या श्रृंगार
क्या चढ़ेंगे ये किसी मंदिर में
कहां जाएंगे ये
छोड़ के अपना दर्द
अपनी खुशबू फिजा में
मिल जाएंगे ये फिर मिट्टी में
यही इनकी किस्मत है l
© Shraddha S Sahu
रात में खिले, महके
जिस डाल को सजाया
उसी डाली ने ठुकराया
उनसे मोह न तजा
ये कदमों में बिछ गए
और फिर उन्हीं कदमों से
कुचल भी दिए गए
मिल गई सजा मोहब्बत की
कुचले फूलों से क्या श्रृंगार
क्या चढ़ेंगे ये किसी मंदिर में
कहां जाएंगे ये
छोड़ के अपना दर्द
अपनी खुशबू फिजा में
मिल जाएंगे ये फिर मिट्टी में
यही इनकी किस्मत है l
© Shraddha S Sahu