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मुनियां...!!!
मुनियां स्कूल जाना चाहती थी
मगर गोल गोल फूली रोटी बना ना सिख लेना भी
कोई पढ़ाई लिखाई करने से कम है क्या
ऐसा आजी कहती थी,...!!!
बबुआ सपना बहुत देखता है
अरे बखत रहते काम मिल गया
दो रोटी कमाना है फिर क्यो कही हाथ पैर मारना है
बाबूजी उनकी नासमझी पर बरसे
कितने सपने ऐसे ही इनके नीचे दब जाते हैं
पच्चीस तीस ग्राम की रोटी
इतनी भारी होती हैं...!!!
मुनिया रोटी बनाना सीख गई
अम्मा बोली बाबूजी से बियाह दो
बबुआ रोटी कमाने लग गया है
घर घर बात चली बियाह दो...!!!
किसी ने ये तक समझना मुसाशिब नही समझा की
उन दोनो को अपनी अपनी स्कूल में
अभी हक करना बाकी थे कई प्रश्न
रोटी केवल भूख ही नहीं मारती
दुखों का हक भी मार लेती हैं...!!!
मुनियां रोटी बनाती हैं
बबुआ रोटी कमाता है
समझ नहीं आता
हम रोटी को निगलते है या रोटी हमे...!!!
© Lotus 🪷
मगर गोल गोल फूली रोटी बना ना सिख लेना भी
कोई पढ़ाई लिखाई करने से कम है क्या
ऐसा आजी कहती थी,...!!!
बबुआ सपना बहुत देखता है
अरे बखत रहते काम मिल गया
दो रोटी कमाना है फिर क्यो कही हाथ पैर मारना है
बाबूजी उनकी नासमझी पर बरसे
कितने सपने ऐसे ही इनके नीचे दब जाते हैं
पच्चीस तीस ग्राम की रोटी
इतनी भारी होती हैं...!!!
मुनिया रोटी बनाना सीख गई
अम्मा बोली बाबूजी से बियाह दो
बबुआ रोटी कमाने लग गया है
घर घर बात चली बियाह दो...!!!
किसी ने ये तक समझना मुसाशिब नही समझा की
उन दोनो को अपनी अपनी स्कूल में
अभी हक करना बाकी थे कई प्रश्न
रोटी केवल भूख ही नहीं मारती
दुखों का हक भी मार लेती हैं...!!!
मुनियां रोटी बनाती हैं
बबुआ रोटी कमाता है
समझ नहीं आता
हम रोटी को निगलते है या रोटी हमे...!!!
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