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शिशुपाल की १०० गलियां.....❤️
नीच अधर्मी छलिया कपटी
गलियों में फिरता आवारा है
गोपियों संग रास रचाता तू
भटकता मारा मारा है
ना मां बाबा का पता तेरे
ना खुद का कोई ठिकाना है
ना कोई काम है तुझको
गोपियों संग नाचना गाना है
ना अच्छे वस्त्र पहनने को
सन्यासी का भेष बनाता है
ना कोई कमाने का फिक्र तुझे
गोकुल में गईया चराता है
विषभान की लाडली तेरे आगे पीछे
दिन रात डोले तेरे इधर उधर
ना खाने को मिलता तुझको
चोरी करता तू घर घर
जहां पकड़ा जाए ग्वाला
वही पीटाता है
हाथो में बांसुरी लिए गलियों में
नाच दिखता है
निक्कमा,पापी, दुष्ट
ये कृष्ण तो नाकारा है
कितनो को मारा है छल से
ये कितनो का हत्यारा है
चुप चाप सुन रहे माधव
थे वचन बध मेरे कान्हा तब
एक एक करके 100 गालियों को माधव ने स्वीकार किया
जब टूटा सब्र का बाण तब
विकराल स्वरूप फिर धार लिया
था चला दिया सुदर्शन चक्र
सर धड़ के अलग था हुआ
देख माधव की अद्भुत लीला
हाथ जोड़ खड़े थे संपूर्ण सभा
राधे राधे ..........💞
shital mishra ❤️
गलियों में फिरता आवारा है
गोपियों संग रास रचाता तू
भटकता मारा मारा है
ना मां बाबा का पता तेरे
ना खुद का कोई ठिकाना है
ना कोई काम है तुझको
गोपियों संग नाचना गाना है
ना अच्छे वस्त्र पहनने को
सन्यासी का भेष बनाता है
ना कोई कमाने का फिक्र तुझे
गोकुल में गईया चराता है
विषभान की लाडली तेरे आगे पीछे
दिन रात डोले तेरे इधर उधर
ना खाने को मिलता तुझको
चोरी करता तू घर घर
जहां पकड़ा जाए ग्वाला
वही पीटाता है
हाथो में बांसुरी लिए गलियों में
नाच दिखता है
निक्कमा,पापी, दुष्ट
ये कृष्ण तो नाकारा है
कितनो को मारा है छल से
ये कितनो का हत्यारा है
चुप चाप सुन रहे माधव
थे वचन बध मेरे कान्हा तब
एक एक करके 100 गालियों को माधव ने स्वीकार किया
जब टूटा सब्र का बाण तब
विकराल स्वरूप फिर धार लिया
था चला दिया सुदर्शन चक्र
सर धड़ के अलग था हुआ
देख माधव की अद्भुत लीला
हाथ जोड़ खड़े थे संपूर्ण सभा
राधे राधे ..........💞
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