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शाश्वत वृक्ष की व्यथा
#सदियोंका_पेड़
#TreeOfAges

इतने सदियों में मैंने जो देखा है,
वो तुम कभी ना देख पाओगे।
इतने सदियों में मैंने जो जाना है,
वो तुम कभी ना जान पाओगे।

काल का चक्र तेजी से था गुजरता,
तू तो ठीक से चल भी ना पाता था,
बस किसी तरह था, तू सरकता।

चारों ओर थी, बस चीख पुकार,
हर तरफ था, अस्तित्व बचाने का हाहाकार।

पांचों तत्व थे असंतुलित,
हर तरफ़ था विष और आग उगलते दैत्याकार ज्वालामुखियों का वातावरण।
हालत देख अपने संतान की,
धरती मां हुई अधीर,
हो गई थोड़ी गंभीर और
ओढ़ लिया शांत, स्वच्छ और निर्मल
दैवीय प्रकृति का एक आवरण।

तेरी खातिर
तेरी मां ने चीर दिया अपना सीना,
और कहा
"मिटा अपने जीवन की क्षुधा ,
चला हल, बीज बो अपने मेहनत का
और उगा ले मुझ पर अन्न रूपी नगीना।"

तुझे दिया बुद्धिमत्ता की धार
और भविष्य का ज्ञान।
भुजाओं में दिया बल
और हाथों में तीर कमान।
ताकि बना सके तू एक आकृति,
बना सके एक सभ्यता, एक संस्कृति।
और आने वाले पीढ़ियों को,
तू बता...