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जुर्म और सज़ा
(=1)इस अदालत का मुंसिफ..
मेरी बस्ती का बाशिंदा है
तुम बेखौफ होकर गुनाहो क़ो अंजाम दो
ये बात तय है है कि इसके बावजूद
तुम्हे सजा नही होंगी
(2) मैंने अपनी जिंदगी क़ो हमेशा
जवान बनाये रखने का नुस्खा हासिल कर लिया है और वो नुस्खा है
(ख़ुशी और सकारात्मक सोच )
मै नही बनना चाहता उस सूरज की तरह क्षणभगुर जो हर रोज़ सुबह जन्म लेता है और सांझ होते ही पहाड़ो के पीछे बनी कब्र में जा कर सौ जाता है....
मेरी बस्ती का बाशिंदा है
तुम बेखौफ होकर गुनाहो क़ो अंजाम दो
ये बात तय है है कि इसके बावजूद
तुम्हे सजा नही होंगी
(2) मैंने अपनी जिंदगी क़ो हमेशा
जवान बनाये रखने का नुस्खा हासिल कर लिया है और वो नुस्खा है
(ख़ुशी और सकारात्मक सोच )
मै नही बनना चाहता उस सूरज की तरह क्षणभगुर जो हर रोज़ सुबह जन्म लेता है और सांझ होते ही पहाड़ो के पीछे बनी कब्र में जा कर सौ जाता है....
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