...

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wo inssan nhi wo cheetah hai, jo kafan bandh kar jeete haii
लहू के लाल रंग को देख जब हम सहम रहे होते हैं |
वहीं कुछ लोग सरहद पर उसे श्रृंगार कर रहे होते हैं ||
घर मे ए•सी चला कर, हम चादर तान के सोते हैं |
क्या पता कुछ लोग वहाँ किस अभाव में जीते हैं||
वह इंसान नही वह चीते है, जो कफन बांध के जीते हैं

हम हर दिन राशिफल देखकर , ईश्वर से एक ही वर मांगते हैं |
मगर वहीं कुछ लोग , सब जानकर भी हर बार लक्ष्मण-रेखा लांघते हैं ||
आखों में चमक और मन मे आक्रोश लेकर वो युद्ध लड़ते है |
असल मे वह हर बार प्रेम का स्पष्ट अर्थ को सिद्ध करते है। ||
वह इंसान नहीं वह चीते है, जो कफ़न बांध कर जीते हैं

यह प्रेम की कैसी परिभाषा हैं, क्या यही शौर्यगाथा है |
क्या सच मे हर माता पिता अपने बच्चों से यही चाहते हैं। ||
ममता यह कैसे ममता है, जो उनके बच्चों को मौत के मुहँ में डालती है |
क्या माँ नौ महीने इसलिए उन्हे कोख मे पालती हैं ||
वह इंसान नहीं वो चीते है, जो कफ़न बांध के जीते हैं

नमन है, ऐसे मा बाप को जो देश को ऐसे सपूत देते है |
सच मे वह जिस्म से अपना दिल निकाल , देश को धड़कन देते है। ||
क्या इतना आसान होता है देना अपनी जान |
बिल्कुल, यह देश के इंसान नही होते है यह एक वरदान। ||
वह इंसान नही वो चीते है, जो कफ़न बांध के जीते हैं

जिनका कद है इतना विशाल,सच मे वह देश के लिए है एक मिसाल |
वास्तव में वह निश्छल प्रेम को असली ज्ञान हमे दे रहे है ||
बिना किसी भय के जो यह जीवन हम जी रहे है,|
इसलिए
न वह सोना है, न मोती है वह देश के असली हीरे हैं ||

वह इंसान नही वह चीते है, जो कफ़न बाँध के जीते है
© @Yash Raj