...

10 views

wo inssan nhi wo cheetah hai, jo kafan bandh kar jeete haii
लहू के लाल रंग को देख जब हम सहम रहे होते हैं |
वहीं कुछ लोग सरहद पर उसे श्रृंगार कर रहे होते हैं ||
घर मे ए•सी चला कर, हम चादर तान के सोते हैं |
क्या पता कुछ लोग वहाँ किस अभाव में जीते हैं||
वह इंसान नही वह चीते है, जो कफन बांध के जीते हैं

हम हर दिन राशिफल देखकर , ईश्वर से एक ही वर मांगते हैं |
मगर वहीं कुछ लोग , सब जानकर भी हर बार लक्ष्मण-रेखा लांघते हैं ||
आखों में चमक और मन मे आक्रोश लेकर वो युद्ध लड़ते है |
असल मे वह हर बार प्रेम का स्पष्ट अर्थ को सिद्ध करते है। ||
वह इंसान नहीं वह चीते है, जो कफ़न बांध कर जीते हैं

यह...