...

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उलझी सी हूँ मैं
सोच रहा हूं कैसा कर्म करूं मैं ,
खुद के जख्मों पर कैसे मरहम करूं मैं ,
सब दर्द को छुपाकर कैसे मुस्कुराया करूं मैं,
बिन सुरों की जिंदगी को कैसे गाया करूं मैं,
उलझी हुई जिंदगी को कैसे सुलझाया करूं मैं ,
लोगों के तानो को कैसे भुलाया करूं मैं,
बेख़ौफ़ जिंदगी पसंद है मुझे कैसे...