...

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ख़ामोशी से..
ना तो उसको मोहब्बत है
ना ही उसके दिल में कोई चाहत है
वो बस कम्बख्त चोरनी है
जिसे चुराने होते है हमारे अल्फाज़
यूँ तो वो किसी रोज गले पड़ी थी
दुनियाँ को दिखाने के लिए
मग़र उसके दाँत ही दो तरह के है
एक खाने के दूसरे दिखाने के
मतलब के उसे किसी और से...
हाँ किसी और से...