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माता साहिब कौरजी
आज जन्म‌ दिवस है मां का
जिसने रचा इतिहास ऐसा
बनकर गुरूजी की पत्नी
बन गयीं वे खालसे की मां
रोहतास के रामजी की बेटी
जब संगत ने की अर्जोई
स्वीकारें बेटी उनकी साहेब देवन
पत्नी रूप में गुरूजी,
दशम पिता ने कहा उनसे
"ऐ! मेरे सिखों लिया है‌ मैंने वचन
खुद से ये त्याग दिया है वैवाहिक जीवन
‌जब से मेरी पहली पत्नी जीतो जी
ने त्यागा संसार,रहना होगा साहिब को
बनकर सिख सरदारनी मेरी"
फूले नहीं समाए रोहतास वाले
किया ब्याह दशम पिता से
आईं साहिब कौर वहां‌ से
पूछा जब गुरूजी से उन्होंने
"ऐ! मालिक आपने मरवा दिए हिंद
पर अपने पुत्र चार,किसे मैं
बेटे कहूं?कौन हैं मेरे लाल?"
किया दशम पिता ने तब ये ऐलान
‌ " चार मुए तो क्या हुआ,जीवंत कयी
हजार, सामने बैठा खालसा,
वो सारे तेरे लाल,तू है माता
खालसे की,,देना इनको मेरा ज्ञान"।
दिया आदेश माता साहिब कौर को
छोड़ें अब वे धरती नांदेड़ की
जाएं अब वे दिल्ली मां है जहां
हैं माता सुंदरी,
दिये ५शस्त्र, ९हुकुमनामे,आदेशपत्र
प्रतीक चिह्न,‌कहा अपनी‌ ज्योत को
परम ज्योति में मिलने का समय जो
‌। आया है।
माता ने किया आदेश का पालन
रह दिल्ली में वे करतीं सेवा और सुमिरन
हुईं जब वे ६६ साल कीं ले लीं
विदाई अपने खालसे से वो मां प्यारी।।