आंकलन
खयाल एक बेतरतीब सा है
थोड़ी बैचैनी और एहसास अजीब सा है
खुद से पूछ लूं सवाल कुछ
क्या उतने ही होश सलामत हैं मेरे
जितने कुछ चांद पहले थे ?
सीखे हैं कुछ हुनर या नही ?
या हैं वैसे ही जितने कुछ चांद पहले थे ?
बह गई ये राते रेत सी
दिन ढल गए साथ बहती नदिया से
दे गया कोई इल्म ये वक्त है
या बेअकल हैं, जितने कुछ चांद पहले थे ?
बैठे हैं बड़ी देर से इसी कश्मकश में
पूछे या नहीं सवाल ये
जवाब नये होंगे या जितने कुछ चांद पहले थे।
#Hindi
#tofn
#poem
© TofN
थोड़ी बैचैनी और एहसास अजीब सा है
खुद से पूछ लूं सवाल कुछ
क्या उतने ही होश सलामत हैं मेरे
जितने कुछ चांद पहले थे ?
सीखे हैं कुछ हुनर या नही ?
या हैं वैसे ही जितने कुछ चांद पहले थे ?
बह गई ये राते रेत सी
दिन ढल गए साथ बहती नदिया से
दे गया कोई इल्म ये वक्त है
या बेअकल हैं, जितने कुछ चांद पहले थे ?
बैठे हैं बड़ी देर से इसी कश्मकश में
पूछे या नहीं सवाल ये
जवाब नये होंगे या जितने कुछ चांद पहले थे।
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